डूबते सूरज से नज़र मिलते ही,
इशारा समझते ही ,
विदा होते सूरज की लाली ,
उसकी समझ में आ गई ।
और वह लजाकर ,
छुईमुई सी शर्मा कर ,
आँखें मींचकर ,
उस ओर मुँह कर गई ।
जिधर से उसके चाँद ने है चढ़ना,
भेस बदल, दुनिया से चोरी ,
उसके साजन ने ,
उससे फिर आ है मिलना ।