यह संयोग ही तो
एक ईज़ाद की मानिंद,
कि चैट-रूम में
बिना किसी रंग,रूप और शिनाखत के
तुम मुझे मिले थे।
और मुझे सोचने पर मजबूर कर गया था
तुम्हारा यह कहना कि
— खाली दिमाग शैतान का घर होता है।
क्योंकि
तुम्हारा खाल्ली दिमाग
उन भरे-पूरे दिमागों से मुझे लगा था बेहतर
जिनमें भरे होते हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह के कंकर।
तुम से मिल कर मुझे यह एहसास हुआ था कि
खाली दिमाग ही वह वरदान है
जिसको पाने के लिये
योगी, ऋषि, मुनि और